सुविधाओं से सुसज्जित माहेश्वरी सेवा सदन'

'' सुविधाओं से सुसज्जित माहेश्वरी सेवा सदन''

सुजानगढ। गत दिनों नव निर्मित माहेश्वरी सेवा सदन का उद्धाटन समारोह संपन्न हुआ। कार्यक्रम में भंवरलाल मेघवाल (शिक्षा, श्रम एवं रोजगार मंत्री), राजस्थान सरकार कार्यक्रम के मुख्य अतिथि थे। अध्यक्षता महासभा के सभापति रामपाल सोनी ने की। विशिष्ट अतिथि रामकुमारजी भूतडा, कमलकिशोरजी  चांडक अध्यक्ष राज. प्रादेशिक माहेश्वरी सभा ने कार्यक्रम की शोभा बढाई। मुख्यवक्ता रमेश जी मर्दा, ब्रह्मप्रकाशजी लाहोटी ने भी समारोह की गरिमा बढाई।

उद्धाटनकर्ता श्री चंपालाल लोहिया ने फीता काटकर माहेश्वरी सेवा सदन का उद्धाटन किया। माहेश्वरी सेवा सदन में वातानुकूलित भवन में बेसमेंट, कार पागि, ग्राउंड फ्लोर में 5000 वर्ग फीट का बाल रूम, दूल्हा-दुल्हन कक्ष, मैनेजर कक्ष, रिसेप्शन मंदिर, रसोई गृह व स्टोर मैजनाईन साज सामान सहित 7 कमरे, बैंकट हाल, डाइनिंग हाल, रसोई गृह, स्टोर व सेवक कक्ष, पहली मंजिल के साज समान सहित 14 कमरे, एक सूट, रसोई गृह, स्टोर व सेवक कक्ष, दूसरी मंजिल के साज सामान सहित 14 कमरे, एक सूट, रसोई गृह व स्टोर तथा छत पर खुली जगह, तीन कमरे एवं रसोई गृह के साथ बेसमेंट से लेकर छत तक लिफ्ट की सुविधा एवं भवन  में आधुनिक सुविधाओं के साथ 24 घंटे ठंडा गर्म पानी, पीने के लिए आरओ, जनरेटर आदि सुविधाएँ हैं।


मंच का संचालन श्रीमती सविता राठी ने किया वहीं ब्रह्मप्रकाशजी ने दीप प्रज्वलन एवं भगवान महेश की पूजा अर्चना की। समाज के बच्चों ने महेश वंदना व नृत्य प्रस्तुत किया। अतिथियों को माल्यार्पण, पगडी पहनाकर, शाल-श्रीफल, अभिनंदन पत्र, स्मृतिचिन्ह भेंट किया गया।

श्री लाहोटी ने माहेश्वरी सेवा सदन के कमरों, हाल की जानकारी देते हुए बताया कि माहेश्वरी सेवा सदन सृजानगढ के लिए मील का पत्थर है। इसके जैसा सुसज्जित व सर्वसुविधायुक्त भवन 200 किमी दूर तक नहीं है। संयोजक श्री मुरलीमनोहर करवा ने बताया कि समाज बंधुओं के दातृत्व की भावना से ही आज सुजानगढ जैसी जगह में वातानुकूलित भवन तैयार हो सका है। समाज में ऐसे भी दानदाता हैं कि जिनके पास गए और कुछ कहने से पहले ही उन्होंने अपना सहयोग हमें दिया। विडियोकोन के श्री प्रदीप धूत का भी धन्यवाद देते हुए कहा कि धूत जी से सम्पर्क करने पर उन्होंने रियायती दरों पर भवन के लिए एयर कंडीशनर, टेलिविजन, फ्रिज इत्यादी सामान उपलब्ध कराए। उन्होंने श्री रामपालजी सोनी के बारे में कहा कि ये इतने बडे उद्यमी होकर भी समाज सेवा के लिए हर वक्त तत्पर रहते हैं तो फिर हम क्यों नहीं। माहेश्वरी सेवा ट्रस्ट के उपाध्यक्ष मदनलालजी लाहोटी ने सभा को संबोधित किया। मुख्य अतिथि ने कहा कि सुजानगढ में नवनिर्मित माहेश्वरी सेवा सदन सच्ची समाज सेवा और निष्ठा का उदाहरण है। विशिष्ट अतिथि श्री चांडक ने कहा कि समाज के दान का सदुपयोग हुआ है। विशिष्ट अतिथि श्री भूतडा ने कहा कि मुझे भवन की लागत जानकर भी आश्चर्य हुआ कि इतने कम व्यय में इतना आलीशान भवन कैसे तैयार हुआ? यह सच्ची निष्ठा का प्रतिरूप दिखता है। समारोह के अध्यक्ष श्री रामपालजी सोनी ने सभी कार्यकर्ताओं का आभार व्यक्त करते हुए कहा कि किसी भी कार्य को पूरा करने के लिए एक लक्ष्य के साथ लगन एवं समयबध्दता होनी चाहिए। जिसका प्रमाण आज हम सबके समक्ष है। सोनीजी ने कहा कि बदलते समय के साथ आज हमारे परिवार एवं समाज में भी बदलाव लाना बहुत आवश्यक है। जिसे आने वाली पीढी को सही लाभ प्राप्त हो सके। इसके लिए सामाजिक संगठन को चलाने वाले लोगों को अपनी सोच को समय के अनुसार बदल कर योजनाओं को कार्यान्वित करना होगा। इसी सोच के मद्देनजर महसभा ने कोटा, बैंगलोर, भिलाई, इंदौर एवं अन्य स्थानों पर माहेश्वरी छात्रावास का निर्माण कराया है। भवन हेतु भूमिदानदाता स्व. श्रीमती भगवानीदेवी, स्व. श्री छगनलालजी लोहिया, स्व. श्री बंकटलालजी करवा जिन्होंने इस भवन की पहली ईंट रखी थी, को याद किया गया। सविताजी राठी ने अतिथियों को धन्यवाद दिया। दानदाताओं को स्मृति चिन्ह भेंट कर उनका सम्मान किया गया। कार्यक्रम के मुख्य वक्ता रमेशजी मर्दा थे। सांस्कृति कार्यक्रम में महिलाओं एवं बच्चों ने आकर्षक नृत्य प्रस्तुत किए गए तथा लघु नाटिका का मंचन किया गया। समाज के कलाकरों ने सत्यम, शिवम, सुन्दरम गीत पर मनोहारी नृत्य प्रस्तु किया। अतिथियों का स्वागत अभिनंदन गीत द्वारा किया गया। कार्यक्रम में समाज के बच्चों द्वारा हम है आंधी, 'पापा कहते हैं' और 'मेरी शादी करवाओ' गीतों पर भव्य नृत्य प्रस्तुत किया। कलाकारों द्वारा हास्य नाटिका एकल परिवार का मंचन किया गया। महिला समिति की सदस्यों द्वारा ऊँ जय गोविंद गोपाल, रंगीलो सावन आयो एवं वो किशना है गीत पर सुंदर नृत्य प्रस्तुत कर सभी को मंत्रमुग्ध कर दिया।

  इस ख़बर पर अपनी राय दें:
आपकी राय:
नाम:
ई-मेल:
 
   =   
 
ई-मेल रजिस्टर करें

अपनी बात
मतभेद के बीच मनभेद न आने दें...।

मतभेद के बीच मनभेद न आने दें...।