बिना नाम व पद की संस्था नि:स्वार्थ सेवा में जुटी है

खेडीघाट (ओंकारेश्वर म.प्र.)। जो भी संस्था बनती है, उसका सबसे पहले बैनर होता है और उसमें कई पद होते हैं, जिनमें व्यक्ति उन पदों पर आसीन होकर काम करते हैं, परन्तु खेडीघाट ओंकारेश्वर नर्मदा नदी के कनारे पर शाम सांई मंदिर पर यह बिना नाम, पद वाली संस्था लगभग 18 वर्षों से नि:स्वार्थ सेवा में इस मार्ग से निकलने वाले यात्रियों व भक्तजनों के लिए सुबह के नाश्ते-चाय से लेकर भोजन तक की व्यवस्था नि:शुल्क कर रही हैं। इस बिना नाम वाली संस्था में कोई पद नहीं होता। इन्दौर के लगभग 20 सदस्य आपस में जुडकर इस कार्य में लगे हैं, कोई भी व्यक्ति इस राह से गुजरता है, तो वह यहां सुबह नाश्ते में पोहा व चाय का प्रसाद पाता है। इसके बाद 11 बजे नर्मदा मैय्या की आरती भक्तों द्वारा की जाती है। उसके बाद भोजन प्रसादी का कार्यक्रम प्रारम्भ होता है, जिसमें भरपेट भोजन, जिसमें पूडी, सब्जी, मीठा व भजिए आदि का प्रसाद पाते हैं। नर्मदाजी के स्नान का पुण्य व ओंकारेश्वर भगवान के दर्शन के लिए आने वाले भक्तगण इस महाप्रसाद के आयोजन में हिस्सा लेते हैं। यहां एक हजार थालियों में लगभग 1500 भक्तजन प्रसाद ग्रहण करते हैं, यह प्रसाद यहां हलवाई द्वारा तैयार किया जाता है। यहां होने वाला खर्च यह बिना नाम की संस्था उठाती है और इस कर्य के लिए कोई चंदा नहीं लिया जाता है। केवल यह लोग आपस में मिलकर, इस पूनीत कार्य का खर्च वहन करते हैं। इनमें सर्वश्री रामेश्वरलाल असावा, शंकरलाल खण्डेलवाल, प्रेमचंद गोयल, मोहनलाल मंत्री, (माहेश्वरी मंच) रमेशचंद अग्रवाल, जतन कुमार गर्ग, स्वरूप मथुरावाला, लक्ष्मण सिंह, रामगोपाल सेनी, प्रकाशजी 420 पापड, कमल भैय्या, शिवनारायण गोयल, ब्रजमोहन गुप्ता, मोहनलाल बंसल, नारायणभाई, प्रवीणभाई, बालकिशन बंग, काबराजी, मोहनलाल आगीवाल आदि सदस्य, जिनका न कोई पद है न कोई संस्था। बस आपस में मिलकर हर अमावस्या को खेडीघाट शाम सांई मंदिर में नर्मदा मैय्या के पवित्र तीर्थ ओंकारेश्वर क्षेत्र में इस महाप्रसाद की नि:स्वार्थ सेवा में लगे रहते हैं। श्राध्द पक्ष में पितृपक्ष की अमावस्या को खीर-पुडी का विशेष प्रसाद भक्तजन पाते हैं। महाप्रसाद पश्चात सभी सदस्य हवन पूजन करने के पश्चात स्वयं भोजन पाते हैं।


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