सेवा-सदन 'भवनों' की राजधानी 'पुष्कर'

सेवा-सदन 'भवनों' की राजधानी 'पुष्कर'
जिस प्रकार देश की राजधानी दिल्ली से पूरा देश जुडा हुआ है और सारे विश्व का सम्पर्क दिल्ली राजधानी से है। वैसे ही सेवा सदन का देश के तीर्थ क्षेत्रों में भवन निर्माण व संचालन पुष्कर के अखिल भारतीय माहेश्वरी सेवा सदन से जुडा है।



तीर्थों की राजधानी पुष्कर सेवा सदन जहां से ब्रह्माजी की नजरें पूरे संसार में व्याप्त है। तीर्थ क्षेत्रों में सेवा सदन के भवनों का निर्माण ब्रह्माजी की कृपा से तीव्र गति से हो रहा है, जो माहेश्वरी सेवा सदन, जिसमें ब्रह्मा-विष्णु-महेश की प्रेरणा, जो पुष्कर से प्रारम्भ होकर देशभर के तीर्थ क्षेत्रों में भवन निर्माण को अंजाम दे रहे हैं। तीर्थ क्षेत्रों में भवनों की श्रृंखला में पुष्कर, हरिद्वार, वृंदावन, बद्रीनाथ, नाथद्वारा, चारभुजा गढबोर, जैसलमेर, रामदेवरा और अब नासिक तीर्थ में निर्माण की ओर कदम बढा है, आगामी नासिक कुंभ के दौरान देशभर के समाजबंधुओं को उसका लाभ मिल सकेगा। तीर्थ क्षेत्रों में समाज के भवन बनाने का क्रम अभी रुका नहीं है कि और प्रस्ताव अन्य तीर्थ क्षेत्रों से आ रहे हैं, जिनमें तिरुपति बालाजी, उज्जैन, ओंकारेश्वर, द्वारिका आदि की आगामी प्रस्तावित योजनाएं। इन योजनाओं को मूर्त रूप देने के लिए माहेश्वरी समाज बंधुओं का सहयोग निरन्तर मिल रहा है। जहां धन की कोई कमी नहीं है। केवल भूमि चयन में ही देरी हो रही है। वरना अभी तक न जाने कितने और भवन इन तीर्थ क्षेत्रों में बन गए होते। इस कार्य के लिए सभी तन-मन-धन से सहयोग के लिए तीर्थ क्षेत्रों की ओर चल पडे हैं।

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