माँ

     माँ      


जीवन की सृष्टि है माँ,  
जीवन की दृष्टि है माँ
आस्था नहीं अरमान है माँ,
वेदना नहीं वरदान है माँ
सूरज सी प्रखर है माँ
चांद सी शीतल है माँ
वज्र सी कठोर माँ
नवनीत से भी कोमल है माँ
वसुधा सी विशाल हृदय है माँ,
अम्बर से ऊंची सोच है माँ
ज्ञान की गीता है माँ,
पिता की परिणिता है माँ
शक्ति का प्रकाशपुंज है माँ,
संतान की पीत्रडा में रोती है माँ
शीतल व सौम्यता की मूर्ति है माँ,
ईश्वर की सर्वश्रेष्ठ कृति है माँ
बच्चे का प्राणत्व है माँ,
जीवन का शास्वत सत्य है माँ
माँ और क्षम एक है,
दोनों का इरादा नेक है।
-कमल एम. त्रिवेदी, सिरोही (राज.)

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