सेवा सदन पुष्कर चुनाव शक्ति प्रदर्शन


सेवा सदन पुष्कर चुनाव शक्ति प्रदर्शन
अखिल भारतीय माहेश्वरी 'सेवा सदन' का चुनाव शक्ति प्रदर्शन का अहम चुनाव माना जा रहा है जिस पर समूचे देश के सदस्यों की निगाहें इस चुनाव पर टिकी है, क्योंकि यह चुनाव प्रतिष्ठा का प्रश्न चिन्ह बन गया है, इस बार अन्दर ही अन्दर जो असंतोष पनप रहा है वह ताकतें पनपे मनमुटाव के कारण चुनाव के दौरान फुट कर बाहर निकलने का संकेत दिखाई दे रहा है।
कुछ दिग्गज समाजसेवा के नाम पर ठिंठोरा पीट रहे हैं तो कुछ अन्दर ही अन्दर खुली खिलाफत का बिगुल बजाने को तैयार है, क्योंकि संस्था की कार्यशैली से खासे नाराज होकर यह दिग्गज चुनाव से खुद को दूर रखे हुए हैं।
पुनः तीसरी बार चुनाव लडने वाले श्री भूतडा के खिलाफ जो असंतोष रहा है वह चुनाव के कार्यकाल बढाने के कारण होना बताया जा रहा है। क्योंकि पूर्व से ही संस्था के विरुध्द कलह व्याप्त है। फिर भी चुनावी जीत की रणनीति बनाने वाले भूतडा तीसरी बार अपने दावेदारों को लाने में लगे हुए हैं। तो श्याम बिडला अपने खेमे वालों को चुनाव जीतने की दौड में आगे है।  चुनाव के दौरान गुट बाजी सेवा सदन के सदस्यों के सामने समस्या के रूप में सामने खडी है। जिसका सामना सेवा सदन के सेवाभावी लोगों को करना पडेगा।
सेवा सदन का यह अहम चुनाव जो प्रतिष्ठा का प्रश्न चिन्ह बन गया है देखना है कि अब शक्ति प्रदर्शन में कौन बाजी मारेगा यह निर्णय 2 सितम्बर को दुध का दुध और पानी का पानी नजर आएगा। देशभर के सेवा सदन के लगभग 13 हजार सदस्यों की यह संस्था इस चुनाव में क्या रंग दिखाएगी यह नजारा उसी दिन नजर आएगा।
समाज की एकता के लिए निर्विरोध चुनाव समाज के हित में है परन्तु इन चुनाव की रणनीति में इनकी कथनी करनी में कितना अंतर है जो चुनाव के दौरान सामने खुलकर आएगा। समाज जो लीक से हटकर नई राह पर जा रहा है जो समाज के लिए परिपाटी बनकर रह जाएगी।
इसलिए अभी भी वक्त है हमें ऐसे नेतृत्व की क्षमता वाले को चुने जो सेवा सदन को सही दिशा दे सके।

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