युनिवर्सिटी योजना कागजों तक सीमित...!

महासभा की सूरत बैठक में
युनिवर्सिटी योजना कागजों तक सीमित...!
    वर्तमान सभापति ने स्वयं उठाया बिड़ा    
50 करोड़ की लागत से भीलवाड़ा में संगम युर्निवसिटी प्रारंभ
  महासभा के 100 वर्षों के इतिहास में यह स्वर्ण अक्षरों में लिखा जाएगा। उन्होंने शिक्षा के प्रति जो कदम बढाया वह सराहनीय है परन्तु इसके पहले उन्होंने शिक्षा को बढावा देने के उद्देश्य को लेकर देश में जगह-जगह माहेश्वरी छात्रावास का निर्माण करने के साथ इतना बडा संकल्प पूरा किया है उनका शिक्षा के क्षेत्र में अभी कदम रूके नहीं है  
महासभा के इतिहास में पहली बार सन् 2005 जनवरी माह में महासभा की सूरत बैठक में समाज की युर्निवसिटी खोलने की योजना का प्रस्ताव महासभा के पदाधिकारियों सदस्यों ने रखा था। उस समय महासभा की बैठक में मुख्य अतिथि के रूप में देश के सर्वोच्च न्यायाधीश न्यायमूर्ति माननीय श्री रमेशचंदजी लाहोटी उपस्थित थे तब उनके समक्ष यह प्रस्ताव रखा गया था कि महासभा के माध्यम से एक बडी युनिर्वसिटी की स्थापना की जाए। इस प्रस्ताव पर देश के प्रमुख शहरों में सूरत, कोटा, जोधपुर, बैंगलोर, चैन्नई, दिल्ली, हैदराबाद, कोलकाता आदि क्षेत्रों के प्रतिनिधियों ने सहर्ष युनिर्वसिटी खोलने का प्रस्ताव पारित किया और बैठक में श्री लाहोटी के समक्ष घोषणाओं की बौछार होने लगी कि यदि सूरत में युनिर्वसिटी खोली जाए तो हम एक करोड़ देंगे तो कोटा की तरफ से जमीन देने व एक करोड़ की राशि का आश्वासन दिया। इसी तरह चैन्नई के श्री बंशीलाल राठी की ओर से श्री बालारामजी ने कहा कि यदि चैन्नई में युर्निसिटी खोले तो हम बाबूजी के आशीर्वाद से धन एकत्र कर सकते हैं कई घोषनाएं हुई इसके अलावा जोधपुर, दिल्ली, रायपुर आदि क्षेत्रों के महासभा प्रतिनिधियों ने भी घोषणाएं की। उस वक्त महासभा के सभापति माननीय स्व. श्री चुन्नीलालजी सोमानी व महामंत्री श्री श्याम सोनी थे जो वर्तमान में पुनः महामंत्री पद पर काबिज हैं तब इनके कार्यकाल की युर्निवसिटी योजना आज तक कागजों में बंद पडी है। देशभर के आए महासभा सदस्य उस मीटिंग में उपस्थित थे तब उस मिटिंग में (मोहनलाल मंत्री) (सहयोगी सदस्य) स्वयं भी उपस्थित थे। जब यह नजारा देखा तो ऐसा लगा कि महासभा माहेश्वरी समाज के लिए शिक्षा के क्षेत्र में बहुत काम करना चाहती है, परन्तु सन् 2004 से लेकर 2012 तक महासभा में वापस ऐसी युनिर्वसिटी खोलने की गुंज आज तक सुनाई नहीं दी। उस वक्त देश के समाचार-पत्र, पत्रिकाओं में प्रमुखता से युनिर्वसिटी खोलने के समाचार प्रकाशित हुए थे, समाचार पत्र में छपी खबर ऊपर बॉक्स में दर्शाई गई है। परन्तु यह योजना केवल प्रस्ताव तथा कागजों में समाचार बनकर ही रह गई। वर्तमान सभापति श्री रामपाल सोनी ने स्वयं युनिर्वसिटी की योजना का बीडा उठाकर देश में समाज का नाम ऊंचा किया है और भीलवाडा में संगम युनिर्वसिटी प्रारंभ कर दी है तथा समाज के कमजोर तबके के लिए विशेष योजना भी बनाई। महासभा के सभापति श्री रामपाल सोनी से जब यह पूछा गया कि महासभा द्वारा युनिर्वसिटी की योजना मूर्तरूप क्यों नहीं ले सकी। तब उनका कहना था कि उस वक्त सभापति स्व. श्री चुन्नीलालजी सोमानी व महामंत्री श्री श्याम सोनी थे उनके कार्यकाल में यह योजना प्रस्तावित थी परन्तु नतीजा नहीं निकला। मेरे सभापति बनने के बाद मैंने स्वयं इस योजना को हाथ में लिया और मूर्तरूप देने के लिए योजना तैयार की। युनिर्वसिटी खोलने के लिए 100 करोड़ रुपए की राशि की आवश्यकता थी इतनी बडी राशि के लिए मैंने काफी प्रयास किए, यहां तक कि बिड़ला परिवार से लेकर बडे घरानों से भी चर्चा हुई, परन्तु समाज का निर्णय सफल नहीं होने से युनिर्वसिटी योजना आगे नहीं बढ सकी। मैंने स्वयं यह निर्णय लिया कि संगम ग्रुप के माध्यम से ट्रस्ट द्वारा इस योजना को मूर्तरूप देने के लिए संकल्प लिया और मैंने इस योजना का बीडा उठाकर इस कार्य को अंजाम दिया। श्री सोनी की सोच है कि भविष्य में समाज के छात्रों को उच्च शिक्षा के लिए इधर-उधर नहीं भटकना पडे। समाज की युर्निवसिटी का लाभ समाज के छात्रों को मिले इसी उद्देश्य को लेकर श्री सोनी ने भीलवाडा में यह कदम उठाया, जहां कालेज से लेकर युनिर्वसिटी तक शिक्षा माध्यम बनाया है। इस योजना को मूर्तरूप देने के लिए 100 करोड़ की योजना ट्रस्ट के माध्यम से 50 करोड़ रुपए खर्चकर भवन निर्माण कर योजना प्रारंभ कर दी। जो आज समाज बंधुओं के समक्ष 100 बीघा भूमि पर 'संगम युनिर्वसिटी' खडी है। आगे भविष्य में इस योजना में 50 करोड़ रुपये और खर्च होने है जिसके प्रयास चल रहे हैं। शीघ्र ही इस 'संगम युनिर्वसिटी' का विस्तार होगा जो एक बडी युनिर्वसिटी का आकार लेगी। व्यक्ति का केवल पद पर बने रहने से काम नहीं चलता, जब तक व्यक्ति की स्वयं इच्छा शक्ति अपने उद्देश्य के प्रति दृढ संकल्प निष्ठावान नहीं होगा तब तक काम पूरा नहीं होगा। श्री सोनी जो अपने उद्देश्य के प्रति दृढ निश्चय के साथ स्वयं आगे आए और समाज के लिए 'संगम युर्निवसिटी' योजना को ट्रस्ट के माध्यम से आगे बढाया। महासभा के 100 वर्षों के इतिहास में यह स्वर्ण अक्षरों में लिखा जाएगा। उन्होंने शिक्षा के प्रति जो कदम बढाया वह सराहनीय है परन्तु इसके पहले उन्होंने शिक्षा को बढावा देने के उद्देश्य को लेकर देश में जगह-जगह माहेश्वरी छात्रावास का निर्माण करने के साथ इतना बडा संकल्प पूरा किया है उनका शिक्षा के क्षेत्र में अभी कदम रूके नहीं है वे अन्य क्षेत्रों में युर्निवसिटी खोलने के लिए संकल्पित हैं। सेवा सदन के माध्यम से युर्निवसिटी योजना के लिए लक्ष्य बनाया है उनकी इतनी ऊंची सोच जो आने वाला भविष्य समाज के होनहार छात्रों को उच्च शिक्षा के क्षेत्र में उन्नति के रास्ते पर ले जायगा और समाज का नाम देश ही नहीं विदेशों में भी ऊंचा होगा। सेवा सदन (पुष्कर) संस्था जो भवनों का निर्माण कर रही है जिसके पास धन की कोई कमी नहीं है क्योंकि युर्निवसिटी खोलने के लिए करोडों की राशि की आवश्यकता होगी जो सेवा सदन इस कार्य के लिए सक्षम है। इसलिए उन्होंने देश में दूसरी युर्निवसिटी योजना के लिए सेवा सदन संस्था को आग्रह किया है। सेवा सदन देश में करोडों के भवन बना रहा है अब उसका विस्तार नहीं कर शिक्षा के क्षेत्र में कदम बढाने के लिए संस्था को प्रेरित किया है।

  इस ख़बर पर अपनी राय दें:
आपकी राय:
नाम:
ई-मेल:
 
   =   
 
ई-मेल रजिस्टर करें

अपनी बात
मतभेद के बीच मनभेद न आने दें...।

मतभेद के बीच मनभेद न आने दें...।