सामाजिक कार्यशाला दिल्ली में

सामाजिक कार्यशाला दिल्ली में
दिल्ली। माहेश्वरी मंडल (दिल्ली) ने स्वंत्रता दिवस ध्वजारोहण करके राष्ट्रगान के साथ मनाया। सेवा सदन प्रांगण में श्री मुरलीमनोहर करवा ने ध्वजारोहण किया। नन्हें-मुन्ने बच्चों ने देशभक्ति के गीत से सभी को भाव विभोर कर दिया। विशिष्ट अतिथि श्री रामेश्वरलाल काबरा (रामरत्ना ग्रुप मुंबई) श्री रमेश मरदा भी उपस्थित थे।
इस मौके पर कार्यशाला का शुभारंभ दीप प्रज्जवलित कर भगवान महेश की पूजा अर्चना के साथ किया गया। अतिथि देवो भवः की प्रथा को निभाते हुए अतिथियों को माल्यार्पण शॉल उढाकर एवं स्मृति चिन्ह भेंट किया गया। श्रीमती रीतू साबू ने श्री रामेश्वरलाल काबरा का परिचय देते हुए कहा कि
''कहाँ गया वो चौका चूल्हा, कहां गया वो घर का आंगन,
सिमट गए सब रिश्ते नाते, हो गया घरों का विभाजन,
लुप्त हो रहें संस्कार हमारे, घर में ये अलख जगाओ,
संस्कारों के ही प्रकाश से, घर-घर का आंगन सजाओ।''
श्री काबरा ने कहा कि संस्कार निर्माण आज की आवश्यकता विषय पर बहुत ही प्रभावित तरीके से आदिकाल से वर्तमान तक विभिन्न सामाजिक परिस्थितियों का उदाहरण देते हुए आज के समय संस्कार निर्माण की आवश्यकता पर बल दिया। हमारा समाज पाश्चात्य सभ्यता के चंगुल में फंसता जा रहा है। परिवार एवं समाज के सभी वर्ग एक-दूसरे से प्रायः दूर होते जा रहे हैं। विपरीत परिणाम दिन-प्रतिदिन हमारे सामने आ रहे हैं। सामाजिक समस्याएँ बढती जा रही हैं। आपने तीन चीजों का सदुपयोग करने पर विशेष बल दिया मोबाईल, टीवी एवं इंटरनेट पर विशेष बल दिया। इन तीनों वस्तुओं को परमाणु बम की संज्ञा दी। इसका सदुपयोग लाभदायक हैं एवं अति उपयोग नुकसानदायक भी है। अपने व्यक्तव्यों में मनोरंजक उदाहरण भी दिए गुजरात में एक मंदिर में पशु पक्षी एक ही स्थान पर दाने चुगते हैं कुत्ता, बिल्ली, कबूतर, मोर और नेवला सभी शामिल हैं। आपने अपने विचारों एवं सुझावों का संकलन एक पुस्तक प्रकाशित करने की बात कही। लगभग 90 मिनट उद््बोधन बन्धु मंत्रमुग्थ हो गये थे।
श्री रमेश मरदा से अनुरोध करते हुए कहा कि
मानव सेवा का व्रत लेकर,
विनम्रता का विस्तार किया,
सहनशीलता अपनाकर, नवजीवन का संचार किया,
अपनी अलौलिक ऊर्जा से, समाज को इन्होंने उष्मा दी।
श्री रमेश मरदा आज के आधुनिक जीवन में रिश्तों व मूल्यों को पुनः स्थापित करने के कार्य में संलग्न है। जिनका विषय रिश्ता वही सोच नई। श्री मरदा ने सास, बहू और निकट भविष्य में बनने वाली बहू, पति एवं निकट भविष्य में बनने वाले पति एवं अन्य सदस्य।
सभी के लिए थोडा-थोडा परिवर्तन के सुझाव का उदाहरण दिया। करीब 110 मिनट के वक्तव्य में सभी पहलुओं पर चर्चा की गई। पति परमेश्वर का जमाना गया। युवा वर्ग से आग्रह किया कि वे समाज एवं घर-परिवार का अभिन्न हिस्सा बनकर बिगडती परिस्थितियों को संभाले एवं घर के काम में अपना हाथ बटाएँ। चार विभिन्न परिस्थितियों का समर्पण, समझौता, समानता एवं सर्वोच्चता का मार्मिक ढंग से विवेचन किया।
जो बहू आज से 50 वर्ष पूर्व घर समाज के लिए समर्पित थी वो आज समझौता व समानता के दर्जे को पार करते हुए आज सर्वोच्चता के स्तर पर रहना चाहती है। इस परिदृश्य में सभी को दिमाग स्थिर करते हुए अपनी सोच बदलनी पडेगी। इसके पश्चात वयोवृध्द कवि श्री रामनिवास जाजू दिल्ली ने अपने विचारों को समाज के सम्मुख प्रस्तुत करते हुए उन्होंने कविताओं के माध्यम से कहा ''जुटाना तो थोडा ही था, बहुत अधिक पा गए। दौड ऐसी दौड हो कि बहुत दूर आ गए हो.....'' को इतने अच्छे व सरल ढंग से प्रस्तुत किया कि इसे सुनकर सभी श्रोतागण मंत्रमुग्ध हो गए। सभी कार्यशाला के सफल आयोजन के लिए महाबीर प्रसाद मंत्री ने उपस्थित समूह का अभिवादन किया।
मंच संचालन श्रीमती रीतू साबू ने धन्यवाद माना। सभी समाज बंधुओं ने कार्यक्रम की सराहना की व श्री किशनलाल करनानी, भगवानदास कासट ने मंडल द्वारा इस प्रकार के कार्यक्रमों का आयोजन करने पर बल दिया।

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