जैसा अन्न खाएंगे वैसा बनेगा मन- स्वामी शांति स्वरूपानंदगिरिजी महाराज

            श्रीमद् भागवत कथा
श्री माहेश्वरी समाज संयोगितागंज द्वारा आयोजित

 जैसा अन्न खाएंगे वैसा बनेगा मन
     -स्वामी शांति स्वरूपानंदगिरिजी महाराज



इन्दौर।
माँ अहिल्या की धार्मिक नगरी के श्री माहेश्वरी मांगलिक भवन पर गत दिनों श्रीमद् भागवत सप्ताह परायाण महायज्ञ का आयोजन श्री माहेश्वरी समाज संयोगितागंज के तत्वावधान में किया गया। व्यास पीठ पर आसीन महामंडलेश्वर श्री 1008 श्री स्वामी शांति स्वरूपानंदजी गिरिजी महाराज चारधाम मंदिर उज्जैन ने अपने मुखारबिन्द से श्रीमद् भागवत कथा का रसवादन भक्तजनों को कराया। स्वामी जी ने प्रभु भक्ति, प्रभुलीला, समाज सुधार व गीतों-भजनों के माध्यम से श्रीकृष्ण जन्मोत्सव व नन्दोत्सव, रूकमणी विवाह, गोवर्धन पूजा, सुदामा चरित्र का वर्णन करते हुए भागवत महात्म्य के बारे में विस्तारपूर्वक अपने मधुर वचनों से भक्तजनों को रसपान कराया।

श्री स्वामी जी महाराज ने अपने मधुर वचनों से भक्तों को बताया कि जैसा अन्न खाएंगे वैसा मन बनेगा। जब भीष्म पितामह बाणों की सय्या पर लेटे थे तब भगवान श्री कृष्ण पांडवों को उनके पास ले गए। उस दौरान द्रोपदी ने चिर हरण पर प्रश्न किया की उस वक्त आपका ज्ञान कहां था। तब पितामाह ने कहा कि मैंने दुर्योधन का अन्न खाया था  तब मेरा रक्त अर्जुन के बाणों से दूषित अन्न से रक्त बाहर निकल गया। इसलिए मैं सत्य, असत्य, को अच्छी तरह देख पा रहू हूं। स्वामी जी ने प्रहलाद चरित्र, हिरणयाकश्यप वध, वामन अवतार व कपिल अवतार आदि प्रसंगों पर भक्तजनों को भगवत-कथा का महत्व समझाया  कराया। आपने मनुष्य के मन की शांति पर कहा कि जब तक मन में शांति नहीं होगी तब तक संसार के किसी भी ऐश्वर्य का सुख नहीं मिल सकता। आपने यह भी समझाया कि संसार में जो व्यक्ति जीता उसे वीर कहते हैं परन्तु मन को जीतने वाला महावीर होता है।
भागवत कथा का आयोजन 2 अक्टूबर से 8 अक्टूबर तक श्री माहेश्वरी मांगलिक भवन में आयोजित हुआ। प्रथम दिवस शोभायात्रा गोपाल मंदिर से प्रारंभ होकर कथा स्थल  ''मांगलिक भवन'' बालाजी मंदिर समीप पहुंची, जिसमें समाज की महिलाएं लाल साडी में जो 108 कलश धारण किए हुए चल रही थीं वहीं सबसे आगे घोडे पर माता अहिल्याबाई, झांसी की रानी, महाराणा प्रताप, वीर शिवाजी और अर्जुन की वेशभुषा में बालक और बालिकाएं हाथों में अलग-अलग ध्वज लिए चल रहे थे। बैंडबाजों की धुन पर भजनों पर श्रध्दालु नाचते चल रहे थे। शोभायात्रा का जगह-जगह स्वागत किया जा रहा था। शोभायात्रा में  घोडा बग्घी, जिसमें श्री स्वामी शांतिस्वरूपानंदजी गिरिजी महाराज तथा अन्य घोडा बग्घी में वरिष्ठजन थे। यह शोभायात्रा श्रध्दानंद मार्ग, पारसी मोहल्ला, चित्रिडयाघर स्थित माहेश्वरी मांगलिक भवन पर समाप्त हुई।
शोभायात्रा के दौरान श्री महेश सार्वजनिक ट्रस्ट के अध्यक्ष सर्वश्री रामेश्वरलाल असावा,  प्रहलाद  चाण्डक, महेश राठी, पुरुषोत्तमदास मंत्री, मांगीलाल झंवर, अश्विन लखोटिया, सुभाष राठी, श्रीमती दमयंती मणियार, किरण लखोटिया, सौरभ राठी, संजय बाहेती, विभा राठी, दीप्ति मूंदडा आदि शामिल थे। भगवत कथा के दौरान भारी संख्या में समाज के बंधुजनों ने कथा का शृवनकर लाभ उठाया।
कथा के दौरान संजय बिडला, राजेश चाण्डक, मनोज लखोटिया, पंकज काबरा, संध्या चाण्डक, अलका चाण्डक,  रितु लद्दड, अलका बाहेती, भावना लाहोटी, कल्याण मूंदडा, व्यंकट सोमानी, वीणा राठी, निलीमा असावा, सुमन सारडा,  सूरजमल लाहोटी, श्याम बाहेती, प्रहलदास असावा, शंकरलाल परतानी, सुरेश हेडा, घनश्याम बिडला, किशोर बाहेती,  गोपाल लाहोटी, वेणुगोपाल असावा, शिवभुवन परवाल, जगदीश डागा, आदि कई समाजबन्धुओं ने कथा का लाभ लिया।

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