'गो' पूजा और 'गो' सेवा साक्षात लक्ष्मी का वरदान



'गो' पूजा और 'गो' सेवा
साक्षात लक्ष्मी का वरदान

 
आजादी के समय भारत में गायों की कई नस्ल होती थी उस वक्त औसतन प्रति 100 व्यक्ति 80 गौमाता थी। धर्मग्रंथों में गाय को कामधेनु कहा गया है जिस घर में गौमाता रहती है। उस परिवार को मंदिर या तीर्थ जाने की आवश्यकता नहीं। इसलिए वह घर स्वयं मंदिर हो जाता है। स्वयं भगवान विष्णु ने मनुष्य अवतार धारण कर गौ सेवा की और गोपाल कृष्ण कहलाए। रामावतरा में गौमाता का रूप पृथ्वी ने धारण किया। गौमाता में तैंतीस कोटी देवताओं का वास है।

नियमित रूप से गो पूजा तन, मन व धन के सभी दोषों को दूर कर साक्षात लक्ष्मी वरदान पाने का श्रेष्ठ व आसान उपाय माना गया है। गौ सेवा और गौदान मनुष्य के जीवन के साथ उसकी सात पीिढयों को तारता है मुक्ति मिलती है इसलिए सब दानों में बडा दान गौमाता का दान कहलाता है। गो सेवा से अपने जीवन में पंचगव्य की पवित्र एवं गुणकारी (गोमुत्र, दुग्ध, दही, घृत, गोबर) जो सर्व रोग का नासक अमृत के समान ही मनुष्य के जीवन में उपयोगी है। भारतीय संस्कृति की सर्वाधिक महत्वपूर्ण सेवा गौ सेवा गौ रक्षा का संकल्प करें। अब तक गौरक्षा हेतु धर्मनीति और राजनीति स्तर पर बडे-बडे प्रयास हुए, लेकिन सफलता अभी कोसो दूर है परन्तु इस और अधिक प्रयास जरूरी है।
संविधान में बछडे, बेल, दुधारू और गर्भवती गाय की हत्या दण्डनीय अपराध है।
परन्तु इस सबके बावजूद देश में वर्षों से गौशाल कई क्षेत्रों में है और गौशाला के लिए सरकार ने जो प्रावधान बनाया वह इतना कारगर सिध्द नहीं हुआ। देश के कई राज्यों में बडी-बत्रडी गोशालाएं जिनमें गायों के रखने की जगह नहीं बची है इसलिए एक-दूसरे गोशालाओं को गायें आपस में पालने के लिए देते लेते रहते हैं जहां उनका पालन-पोषण होकर उनकी बढोत्तरी होती रहती है।
वर्षों पुरानी संस्था जो 154 वर्ष पूर्व सन् 1859 में 'श्री अहिल्या माता गौशाला जीवदया मंडल' के नाम से केशरबाग रोड पर 18 एकड में सर सेठ हुकुमचंदजी कासलीवाल इन्दौर ने बीमार, विकलांग, वृध्द, गायों की सेवा और रक्षा के उद्देश्य से जमीन क्रय की। पूर्व में यह जमीन 68 एकड होकर 2 एकड भू-अर्जन व 46 एकड कपडा मार्केट संस्था को बेच दी। इस 18 एकड गौशाला में 10 पक्के शेड, वर्षभर घास रखने के दो बडे गोडाउन तथा कर्मचारियों के लिए 26 क्वार्टर के अलावा विद्यार्थियों के पढने के लिए भवन तथा होस्टल का निर्माण किया।



इस गोशाला में गोबर गैस प्लांट जो 85 घनफिट केपेसिटी का मध्यप्रदेश का सबसे बडा प्लांट लगाया। जिससे विद्युत का उत्पादन किया जा रहा है। गौशाला की खाली जमीन में गायों के चरने के लिए हरा घास उगाया जाता है। इसके अलावा गायों के रख-रखाव के लिए खुले बाडे जिसमें गायें घूम फिर सके और उन्हें सूरज की धूप भी मिल सके ऐसी व्यवस्था इस गोशाला में की गई है। दो बोरिंग एक कुआं इस गोशाला में हैं। गौशाला में बडे-बडे वृक्ष जो हरियाली से हरे-भरे हैं। साथ ही गौशाला के संचालन के लिए कार्यालय भवन भी है।
इस अहिल्या माता गौशाला में वर्तमान में कुल 750 गायें हैं जिसमें केशरबाग रोड की गौशाला में 300 व मोध्यापुरा (पेडमी, कम्पेल में 450 गायें हैं।इस प्रकार लगभग 750 गायें इन दोनों गौशाला में है।
गौशाला के संस्थापक सरसेठ हुकुमचंदजी कासलीवाल के बाद राजकुमारसिंहजी कासलीवाल, देवकुमारसिंहजी कासलीवाल, गुलाबचंदजी टोंगिया, श्री छगनलालजी ऐरन, श्री राजारामजी मुछाल इस संस्था के अध्यक्ष रहे। अब वर्तमान में श्री रामेश्वरलाल असावा जो सन् 2010 से इस गोशाला के अध्यक्ष पद पर हैं। संस्था का तीन वर्ष का कार्यकाल जिसका पुनः चुनाव जुलाई 2012 में हुआ जिसमें पुनः श्री असावा को सन् 2015 तक के लिए अध्यक्ष का कार्यभार सौंपा गया। इसके अलावा भी आप कई सामाजिक संस्था से  छुडे हुए हैं जिनमें महेश सार्वजनिक ट्रस्ट अध्यक्ष, व्यापारिक औद्योगिक सहकारी बैंक अध्यक्ष, श्री माहेश्वरी समाज वरिष्ठ उपाध्यक्ष, माहेश्वरी युवा प्रकोष्ठ सेवा ट्रस्ट उपाध्यक्ष, श्री माहेश्वरी मेवाडा पंचायती थोक डेढ सौ के अध्यक्ष भी हैं। पूर्व में आप इन्दौर अनाज कृषि उपज मंडी समिति, दाल मील एसोसिएशन, कांग्रेस प्रकोष्ठ के अध्यक्ष भी रह चुके हैं। आप का अनाज के व्यवसाय के साथ प्रसिध्द 'तीन इक्का' दाल मील की ईकाई भी है।
 आपने अपने कार्यकाल में गायों की बढोत्तरी के साथ उनके रख-रखाव व व्यवस्था का निर्वाहन सुचारू रूप से करते आ रहे हैं। जब 15 वर्ष पूर्व गौशाला में लगभग 450 गायें थी। दो वर्ष से लगातार गौशाला में गोवंश की वृध्दि हुई। इसके लिए बेटमा की गोशाला, विद्याधाम की गोशाला, आगर-मालवा व अन्य गोशालाओं से गायें आ रही हैं जो संस्था की दोनों गो शालाओं में गोवंश का रखरखाव हो रहा है।
पेडमी कम्पेल गौशाला में अपाहजि गायों का रख-रखाव व उनका इलाज किया जाता है। मात्र 50 गायें केवल दुधारूं हैं। इस गौशाला की सबसे बडी विशेषता यह है कि जो भी गायें आती है वह शरीर छोडने के बाद ही जाती हैं। यहां गाय का कोई क्रय-विक्रय नहीं होता है। जो व्यक्ति गाय दान में देते हैं। उसका पालन पोषण इन गोशालाओं में व्यवस्थित रूप से किया जाता है। समय-समय पर वेटरनिटी डॉक्टरों द्वारा गाय का इलाज किया जाता है।
केसरबाग रोड स्थित गौशाला में पशु पालन प्रशिक्षण केन्द्र जो सन् 1995 से संस्था ने  प्रारंभ किया। जिसमें ग्रामीण क्षेत्र के युवाओं को गौपालन की ट्रेनिंग आधुनिक तरीके से प्रशिक्षण दिया जाता है। यह प्रशिक्षण 65 दिन का होता है। जे.के. ट्रस्ट मुंबई के माध्यम से सम्पूर्ण भारत से युवाओं को यहां भेजते हैं जिसमें मध्यप्रदेश, हरियाणा, राजस्थान, महाराष्ट्र के अलावा उज्जैन, मंदसौर, शाजापुर, धार, नीमच, देवास, होशंगाबाद, झाबुआ, महू, बागली, इन्दौर आदि क्षेत्रों से पशु पालन प्रशिक्षण की जानकारियां दी गई। अभी तक लगभग 5200 किसान बंधुओं व युवाओं को प्रशिक्षण दिया गया है।
इस प्रशिक्षण के लिए वेटरनिटी के पूर्व उपसंचालक डॉक्टरों द्वारा प्रशिक्षण दिया जाता है, जिसमें डॉक्टर ओ.एन. सोलंकी व डॉक्टर जी.एस. सक्सेना समय-समय पर प्रशिक्षण में सहयोग करते हैं।
गौशाला का एक ट्रस्ट जिसके अध्यक्ष सर्वश्री बाबूलाल बाहेती, मंत्री रामेश्वरलाल असावा व कोषाध्यक्ष पुरुषोत्तम पसारी हैं तथा ट्रस्टीगणों में सर्वश्री चन्द्रकुमारसिंह कासलीवाल, लक्ष्मीनारायण कसेरा, एम.सी. रावत, नन्दलाल लुनिया, लक्ष्मीनारायण अग्रवाल, गिरधर गोपाल नागर हैं तथा गौशाला मंडल के प्रमुख अध्यक्ष सर्वश्री रामेश्वरलाल असावा, उपाध्यक्ष कैलाशचन्द्र आगार, मंत्री शंकरलाल अग्रवाल, कोषाध्यक्ष ओमप्रकाश पसारी, संयुक्त मंत्री जतनकुमार गर्ग, सहायक मंत्री पुरुषोत्तमदास गर्ग, देवेन्द्र नागर हैं। कार्यक्रम सचिव सुरेश गंगेले, एकाउंटेंट श्री तिवारी है। ु

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