चित्रकूट के हनुमान धारा मंदिर

चित्रकूट के हनुमान धारा मंदिर

वाल्मीकि रामायण, महाभारत पुराण स्मृति उपनिषद व साहित्यक पोराणिक साक्ष्यों में खासकर कालिदास कृत मेघदुतम में चित्रकुट का विशद विवरण प्राप्त होता है। त्रेतायुग का यह तीर्थ अपने गर्भ में संजोय स्वर्णिम प्राकृतिक दृश्यावलियों के कारण ही चित्रकूट के नाम से प्रसिध्द है जो लगभग 11 वर्ष तक श्रीराम माता सिता व भ्राता लक्ष्मण की आश्रय स्थली बनी रही। यही मंदाकिनी पयस्विनी और सावित्री के संगम पर श्रीराम ने पितृ तर्पण किया था। श्रीराम व भ्राता भरत के मिलन का साक्षी यह स्थल श्रीराम के वनवास के दिनों का साक्षात गवाह है, जहां के असंख्य प्राच्यस्मारकों के दर्शन के रामायण युग की परिस्थितियों का ज्ञान हो जाता है।
ब्रह्मा, विष्णु और महेश चित्रकुट तीर्थ में ही इहलोकोका गमन हुआ था यहां के सती अनुसूया के आश्रम को इस कथा के प्रमाण के रूप में प्रस्तुत किया जाता है। चित्रकूट का विकास राजा हर्षवर्धन के जमाने में हुआ। मुगल काल में खासकर स्वामी तुलसीदासजी के समय में यहां की प्रतिष्ठा प्रभा पुनः मुखारिन हो उठी।



भारत के तीर्थों में चित्रकुट को इसलिए भी गौरव प्राप्त है कि इसी तीर्थ में भक्तराज हनुमान की सहायता से भक्त शिरोमणि तुलसीदास को प्रभु श्रीराम के दर्शन हुए।
हनुमान धारा चित्रकुट का एक ओर पवित्र स्थल है जहां के बारे में मान्यता है कि लंका दहन के उपरांत भक्तराज श्री हनुमानजी ने अपने शरीर के तापके शक्ती धारा की जलराशि से बुझाया था। यह धारा रामघाट से लगभग 4 कि.मी. दूर है। इसका जल शीतल और स्वच्छ है। 365 दिन यह जल आता रहता है। यह जल कहां से आता है यह किसी को जानकारी नहीं है। यदि किसी व्यक्ति को दमा की बिमारी है तो यह जल पीने से काफी लोगों को लाभ मिला है। यह मंदिर पहाडी पर स्थित है। बहुत सुंदर द्विय मुर्ति है। इस के दर्शन से हर एक व्यक्ति का तनाव से मुक्त हो जाता है तथा मनोकामना भी पूर्ण हो जाती है।
कामतानाथजी को चित्रकुट तीर्थ का प्रधान देवता माना गया है। वैसे तो मंदाकिनी नदी के तट पर चित्रकुट के दर्शन के लिए भक्तों का आना-जाना तो सदा लगा रहता है पर अमावस्या के दिन यहां श्रध्दालुओं के आगमन से विशाल मेला लग जाता है। श्री कामदर गिरी की परिक्रम की महिमा अपार है। श्रध्दा सुमन कामदर गिरी को साक्षात ॠग्वेद विग्रह मानसकर उनका दर्शन पूजन और परिक्रमा अवश्य करते रहते हैं। चित्रकुट के केन्द्र स्थल का नाम रामघाट है जो मंदाकिनी के किनारे शोभायमान है। इस घाट के ऊपर अनेक नए पुराणे मठ, मंदिर, अखाडे व धर्मशालाएं हैं, लेकिन कामदर गिरी भवन अच्छा बना हुआ है। इस भवन को बंबई के नारायणजी गोयनका ने बनवाया। इसके दक्षिण में राघव प्रयागघाट है यहां तपस्विनी मंदाकिनी ओर गायत्री नदियां आकर मिलती हैं। जानकीकुंड यहां का पवित्र मंदिर दर्शनीय है। नदी के किनारे श्वेत पत्थरों पर यहां चरण चिन्ह हैं। लोक मान्यता है कि इसी स्थान पर माता सीता स्नान करती थी।
जानकी कुंड से कुछ दुर स्फटिक शिला है जहां स्फटिक युक्त एक विशाल शिला है। मान्यता है कि अत्रि आश्रम आते जाते समय सीता और राम विश्राम किया करते थे। यह वही स्थल है जहां श्रीराम कि शक्ति की परीक्षा लेने के लिए इंद्र पुत्र जयंत ने सीता जी को चोंच मारी थी। यहां श्रीराम के चरण चिन्ह दर्शनीय है। इस स्थान पर प्राकृतिक दृश्य बडा मनोरम है।
चित्रकुट से 12 कि.मी. दूर दक्षिण पश्चिम में एक पहाडी की तराह में गुप्त गोदावरी है। यह दो चट्टानों के बीच सदा प्रवाह मान एक जलधारा है मान्यता है कि यह नासिक से गुप्त रूप से प्रकट हुई है।
रामघाट से लगभग 20 कि.मी. की दूरी पर भरत कुप है मान्यता है कि श्रीराम को वापस अयोध्या लौटाने आए भरत के राज्यभिषेक हेतु लाए गए समस्त तीर्थों के जल को इसी कुप में डाल दिया इसकी महिमा अपार है यहां हरेक मकर संक्राती को विशाल मेला लगता है।
हाल के दिनों में चित्रकुट के तीर्थों में एक नया नाम आरोग्य धाम का जुडा है जो प्राकृतिक विधि से मानव चिकित्सा के भारत स्तर के एक ख्यातनाम केन्द्र के रूप में स्थापित हो चुका है। इसके अलावा वनदेवी स्थान, राम दरबार, चरण पादुका मंदिर, यज्ञवेदी मंदिर, तुलसी स्थान, सीता रसोई, श्री केकई मंदिर, दास हनुमान मंदिर श्रीराम पंचायत मंदिर आदि यहां के भूमि को सुशोभित कर रहे हैं। चित्रकुट के आसपास के दर्शनीय स्थलों में नैहर वाल्मीकि आश्रम राजापुर सुतिक्षन आश्रम आदि प्रमुख जहां तीर्थ यात्री अपने समय व सुविधा के अनुसार जाते हैं।
चित्रकुट में मंदाकिनी के किनारे नौका पर सवार होकर इस मंच को महसूस किया जा सकता है। मध्यप्रदेश और उत्तरप्रदेश दोनों राज्य में अवतीर्ण चित्रकुट में हाल के वर्षों में चित्रकुट महोत्सव का आयोजन किया जाता है। हर रामनवमी व दिपावली के दिन यहां का नजारा देखने लायक होता है। सचमुच चित्रकुट पावन है। मन पावन रमणीय है अतः ये चित्रकुट में हनुमान धारा से यह एक श्रेष्ठ तीर्थ भूमि पावन बन गई है।
-श्याम सुन्दर लखोटिया, मलेगांव (नासिक) महा.

11 Comment(s) on “चित्रकूट के हनुमान धारा मंदिर“

Comment by : anup raghuvanshi 29/10/2013 12:45 AM

mast apana chitrakoot

Comment by : GYANENDRA 20/05/2016 03:23 AM

SACH ME YAH STHAN BAHUT HI RAMANEEY HAI YAH STHAN MAN KO MOH LENE WALA HAICHITRAKOOT ME AAKAR MAN KO APAR SHANTI MILATI HAI AISA MAINE MAHASOOSH KIYA HAI KYO KI MAI KHUD 6 MAHINE TAK IS PAVAN NAGARI ME RAHA HU

Comment by : Ramakant Galav 26/06/2016 04:46 AM

Chitrakoot apne aap mai rak anokhe chhata liye huai hai.yahan bar bar aane ka dil karata hai.

Comment by : Vivek Singh 16/08/2016 11:40 AM

Jo vyakti chitrkut dham kisi mano kamna se sacche मन se yanha आता hai uski manokamna nisandeh पूर्ण hoti h JAY KAMTA NATH esli kaha gya h (Chitrakut me ram rahe rahiman avadh naresh Ja par vipda padat hai vo ave yhi desh)

Comment by : Abhishek 03/01/2017 12:41 AM

Hey!Prabhu Hame sadbuddhi de,ham sabhi ko vasnaon se dur rakh,samasyaon se ladane ki kshamata pradan kar aur ham sabhi apne lakshya me vilamb na hote hue jald kamyab ho jaon bus aisi kamna hai prabhuwar. Hame tes37 me allahabad board se recomendation mile apana best dene mesfal rahun.

Comment by : Abhishek 03/01/2017 12:46 AM

Aise dham ko mara sat-sat naman aur dantwat pranam.

Comment by : om prakash keshari 04/01/2017 09:28 PM

Aapka cartical kafile tariff h pr kuch kmi sa ehsas hota h pdane pr is jgh k bare h fully knowledge nhi mil RHA h.... Agar us kmi ko due Kr diya jaye to apka articles best ho jayega Aur pdane wale ko fully jankari mil jayegi....

Comment by : ashish 06/01/2017 12:15 AM

nice informations meriduniya.net

Comment by : Mukesh Singh 31/03/2017 12:03 AM

Vakai me ye sthal bahut sundar hai

Comment by : hariom 24/07/2017 12:03 PM

Yaha saawan me or sundar ho jaata h.

Comment by : Pinku awasthi auraiya 03/04/2018 01:52 AM

जय कामतानाथ जी की

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