सेवा सदन विवाद पर शिकवा शिकायत दूर


सेवा सदन विवाद पर शिकवा शिकायत दूर
अखिल भारतीय माहेश्वरी मंच पत्रिका ने पिछले अंकों में यह खबर प्रकाशित की थी कि सेवा सदन का विवाद किसी भी रूप में खत्म होना चाहिए जिससे समाज की गिरती साख व होने वाले नुकसान से निजात पा सके। इसके लिए पत्रिका के 21 सितम्बर अंक में सम्पादकीय द्वारा इस सम्बन्ध में प्रमुखता से इस बात पर जोर दिया गया कि परिवर्तन की जगह प्रयत्नशील रहे और क्षमा के साथ शिकवा-शिकायत दूर करें। इसी प्रकार 7 नवम्बर के अंक में भी सोच अपने-अपने दृष्टिकोण पर भी सकारात्मक व नकारात्मक विषय पर सम्पादकीय द्वारा यह बताया गया था।
इसी के अंक में पेज नम्बर 10 पर कोर्ट कचहरी का मापदण्ड? पर भी विचार व्यक्त किया गया था जिसमें कोर्ट कचहरी में चल रहे विवाद पर समझौते वाली बात प्रकाशित की गई थी कि कोर्ट में जो भी केस लगते हैं अधिकतर उनमें समझौता ही होता है वैसा ही सेवा सदन के इस विवाद पर समझौता होकर  न्यायालय द्वारा विवाद समाप्त हो गया। इसी प्रकार 21 जनवरी के अंक में भी सम्पादकीय द्वारा आस्था और विश्वास को जगाए विषय पर सेवा सदन को आगाह किया था तो यह आस्था और विश्वास की बात लेकर सेवा सदन का विवाद समाप्त हुआ। इसी अंक में पेज न. 30 पर कब होगा यह चमत्कार पर कविता प्रकाशित की गई जिसके माध्यम से भी यह समझाया गया कि सेवा सदन का विवाद समाप्त होना चाहिए।
सुबह का भुला शाम को घर लौटा जिसे भुला नहीं कहते परन्तु सेवा सदन को कोर्ट कचहरी में लाकर समाज का नुकसान तो हुआ और सेवा सदन की प्रतिष्ठा धूमिल हुई। भविष्य में ऐसी गलती न हो इस पर अमल करना जरूरी है कि कोई भी कार्य जिसमें झंझट होती है उन्हें जाजम पर बैठकर आपस में सलाह मशवहरा कर निपटाया जाना चाहिए न कि छोटी-छोटी बातों को लेकर विवाद बढाकर समाज को न्यायालय के कटघरे में खडा कर उसकी छवि को धूमिल करना यह समाज के हित के लिए उचित नहीं है। माहेश्वरी समाज जो बुध्दजीवि कहलाता है उसकी परिभाषा को हमें ध्यान में रखकर कार्य करना चाहिए। आज माहेश्वरी समाज का सर अन्य समाजों की तुलना में ऊंचा है उसकी छवि को ध्यान में रखते हुए ऐसे कार्यों से दूर रहकर हमें समाज के विकास और तरक्की पर ध्यान देकर कार्य करना चाहिए। जिससे समाज का अहित न हो और समाज तेजी से विकास कर सके। इसके लिए हमें पहल कर समाज का साथ देना चाहिए।

'सेवा-सदन' के न्यायालय
विवाद पर लगा विराम

पुष्कर (राज.)। कुछ माह से अखिल भारतीय माहेश्वरी सेवा सदन में जो विवाद गहराया और न्यायालय तक पहुंच चुका था उस पर अब विराम लग गया है। सेवा सदन में कई दिनों से विवाद को लेकर जो असमंजस स्थिति बनी हुई थी उस पर पदाधिकारियों की सहमति से पुष्कर न्यायालय में दोनों पक्षों से राजीनामा पेश किया गया और यह वचन दिया गया कि सेवा सदन की प्रगति के लिए दोनों पक्ष शांति पूर्ण रवैया अपनाएंगे और नवीन कार्यकारिणी का गठन पदाधिकारियों की सहमति द्वारा निर्णय लिया जाएगा। न्यायालय में राजीनामा पेश करते समय अतुल झंवर, जयदेव सोमाणी, अशोक मालानी, राजेश मुन्दडा, सुनिल तोषनीवाल, अशोक राठी, मधुसुदन मालू, गोपाल मालू, कमल काबरा, नृसिंहलाल जाखेटिया, विनोद मालू, अध्यक्ष श्यामसुन्दर बिडला, महामंत्री सुनिलकुमार मुन्दडा, प्रचार मंत्री विष्णुगोपाल सोमानी आदि उपस्थित थे। उक्त जानकारी सुनील मुंदडा ने दी।

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