माहेश्वरी समाज अपनी घटती आबादी पर ध्यान दे, नहीं तो आने वाले 25 वर्षों में आप कहां होंगे- गिरिजी महाराज

माहेश्वरी समाज अपनी घटती आबादी पर ध्यान दे, नहीं तो आने वाले 25 वर्षों में आप कहां होंगे- गिरिजी महाराज



इन्दौर (म.प्र.), (मोहनलाल मंत्री)।
विद्या का केन्द्र बनती स्व. जयनारायणजी जाजू की स्मृति में इन्दौर शहर में छात्रावास निर्माण में जाजू परिवार ने जो कर्तव्य निभाया है। इस सुंदर छात्रावास के शिलान्यास के अवसर पर मैं उपस्थित हो गया हूं। पूर्व में इस बारे में ॠषिकेश में बात की थी कि इन्दौर में एक छात्रावास बनना चाहिए। आपने कहा कि जमाना ज्ञान का है। आपने एज ऑफ नॉलेज की बात कही और आने वाला समय ज्ञान का रहेगा। ज्ञान की साधना हमारी पीढी का है। जाजू परिवार के लिए यह सच्ची श्रध्दांजलि होगी। आज बुध्द जयंती का पर्व है इससे अधिक उत्तम दिन हो ही नहीं सकता है। आज  के दिन भगवान महावीर बुध्द जिन्होंने देश-विदेश राष्ट्र में ज्ञान का प्रकाश फैलाया। आपने जीवन काल के चार प्रकार के ॠण बताए, देव ॠण, पितृ ॠण, मातु ॠण, मनुष्य ॠण।




आपने कहा कि मनुष्य अपने आप ही नहीं बन गया। अपितु समाज की अनेक  घर के मुखिया ने बनाया। जीवन बनाते समय अनेक प्रकार की सुविधा का लाभ लिया। उसे वापस किया और लौटाया भी है। शरीर अमर नहीं होगा, नाम अमर हो जाएगा। कीर्ति को अमर बनाए। इन तीन भाइयों जाजू परिवार ने निभाया। मैं उनका अभिवादन करने आया हूँ।


आदर्श होना चाहिए जैसा मैंने जाजू परिवार में जयनारायणजी को देखा जिन्होंने  धर्म निभाया। भामाशाह का नाम लेते हैं तो दान की प्रेरणा ली जो जाजू परिवार ने निभाई। छात्रावास जो पिता की कृपा से निर्माण हो जाएगा परन्तु इसकी कमी पर ध्यान देना जरूरी है। माहेश्वरी समाज उत्तम समाज है। शिक्षा में अग्रणी है। माहेश्वरी समाज की ओर देखेगे तो कई ऐसे भामाशाह देखेगे। ऐसे माहेश्वरी समाज का सोच आदर्श होना चाहिए।
पति-पत्नी की बात पर कहा कि आपसी प्रेम नहीं है परन्तु माता-पिता भी दूसरों पर आश्रित हैं तो प्रेम में कब तक कृतज्ञता होना चाहिए और संस्कृति की समझ  होना चाहिए। आज अग्र पंक्ति में माहेश्वरी समाज आता है मुझे गर्व है कि मैं जन्मकाल से इस समाज से जुडा हु। आपने विवाह समस्या, विवाह विच्छेदन पर कहा कि 24-25 प्रतिशत तलाक हो रहे हैं। आपने कहा कि आपने तो पढा दिया बतौर तैयार हो गए। माता पिता को सुख देना तो दूर वे दूसरों के मोहताज नहीं है क्या? प्रश्न है, आपने शिक्षा पर तो कहा, मैंने अभी सुना है परन्तु समाज की संस्कृति का किसी ने जिक्र नहीं किया। माहेश्वरी समाज एक दानवीर समाज है। आने वाली अगली पीढी क्या होगी। पता नहीं ज्ञान कहां से आएगा? क्या विचार होंगे? छात्रावास का भवन तो बन जाएगा, लेकिन विचार करें आने वाले बच्चों के नैतिक मूल्य और शिक्षा के संस्कार भी मिले। हम फर्स्टक्लास इंजीनियर, सी.ए. तो किताबी ज्ञान से बन सकते हैं लेकिन वे यदि थर्ड क्लास पति, भाई और पुत्र बने तो ऐसी शिक्षा किस काम आएगी और कैसा समाज बनेगा? इसलिए संस्कारों के दीप से अंधकार को दूर करने का पुरुषार्थ अवश्य करें। मेरे परिवार के लिए और मेरे समाज के लिए किया जाए यह एक विचारणीय बात है।
राम और रावण में इतना ही तो अंतर है कि भगवान श्री राम अंतरप्रशिक्षित थे तो रावण भी बहुत बडा विद्वान था। भगवान श्री राम अस्तित्वबल सम्पन्न थे  तो रावण भी अस्तित्वबल सम्पन्न था, लेकिन रावण ने अपनी सारी शक्तियों का उपयोग अपनी भोगविलासता और अपने स्वार्थ लिए किया और भगवान राम ने अपना सारा स्वार्थ अपने परिवार और राष्ट्र के लिए समाप्त कर दिया। यही तो अंतर है कि हम छात्रावासों में से राम निर्माण करना चाहते हैं या रावण निर्माण करना चाहते हैं। इस विकल्प का  कभी-कभी आप लोगों को विचार करना होगा। कभी-कभी मेरे सामने यह भी प्रश्न खडा होता है कि इतने बिढया छात्रावास आप बना रहे हैं और माहेश्वरी छात्रावास का नाम लेकर बना रहे हैं, कितने माहेश्वरी छात्र इसके पश्चात की पीिढयों में यहां पढने के लिए आने वाले हैं? अभी-अभी श्री राठीजी ने बतलाया कि 14 लाख की हमारी संख्या है 6 वर्ष पहले 16 लाख की संख्या थी अब वह घटकर 13 लाख की है इतना अंतर क्यों आ गया? यदि इसी प्रमाण में हम घटते गये तो आने वाले 25 वर्ष में माहेश्वरी समाज कहां रहेगा वो ढूंढना पडेगा। माहेश्वरी छात्र कहां बचेगा उसको ढूंढना पडेगा। आप की अवस्था और हम लोगों की अवस्था पारसियों जैसी हो जाएगी? पारसी समाज शिक्षित समाज है। पारसी समाज वह समाज है जिसने हमको टाटा जैसे, पालकी वाला जैसे लोग दिए, लेकिन यह पारसी समाज आज नष्ट होने की कगार पर है और वह पूरी तरह नोन इफेक्टिव हो गया है। इस प्रकार माहेश्वरी समाज आने वाले 25 वर्षों के भीतर पारसी समाज की तरह नोन इफेक्टिव और अपने अस्तित्व के लिए केवल प्रयास करने वाला समाज रह जाएगा, क्योंकि हमने लोगों ने अपने बालकों उनके अधिकार तो सिखाए लेकिन उनको कर्तव्यों को सिखाया नहीं। श्री गिरिजी महाराज ने कहा कि दाम्पत्य जीवन के लिए आवश्यक है कि वह चार-चार बच्चों को जन्म दे। आस्ट्रेलिया में मैंने देखा कि वहां के लोग सभी बालकों को बढावा देने के लिए प्रयास करते हैं और उन्हें प्रोत्साहित करते हैं। हमने वहां महिलाओं के साथ छोटे-छोटे बच्चे देखे, बडी संख्या में देखे। खेलते हुए देखा, मुझे ऐसा लगा यह लोग अपनी संख्या को बढाने का प्रयास कर रहे हैं और मेरे माहेश्वरी भाई-बहन अपनी संख्या को घटाने का प्रयास कर रहे हैं, नष्ट करने का इसके लिए समाज बंधुओं को इसका लाभ उठाना चाहिए।
राष्ट्रीय अध्यक्ष रामपाल सोनी ने भी शिक्षा के क्षेत्र को बढावा देने के लिए छात्रावास निर्माण पर जोर दिया और कहा कि छात्रावास आज शिक्षा के लिए अति आवश्यक है। यदि समाज के बच्चों को रहने की व्यवस्था हो जाती है तो उन्हें अध्ययन करने के लिए कहीं भटकना नहीं पडे, इसके लिए छात्रावास का निर्माण प्रथम  उद्देश्य है। अधिक से अधिक सुविधा और उसका लाभ समाज के छात्रों को मिले।

गोविन्द मालू ने भी शिक्षा पर अपने विचार व्यक्त किए। प्रकाश बाहेती ने छात्रावास सम्बन्धी योजना की जानकारी दी और छात्रावास निर्माण के लिए सर्वप्रथम आगे बढकर उन्होंने एक कमरा तीन लाख का बुक कराया था जो आज योजना के रूप में क्रियान्वित हो रहा है।
समारोह को पुलिस महानिरीक्षक श्री विपिन माहेश्वरी, श्री जाजू, कृष्णमुरारी मोघे, रंगनाथजी न्याती आदि ने सम्बोधित किया। इस मौके पर श्याम सोनी पैनल के महासभा के कई उम्मीदवार इस कार्यक्रम में उपस्थित होकर कार्यक्रम की शोभा बढाई।

  इस ख़बर पर अपनी राय दें:
आपकी राय:
नाम:
ई-मेल:
 
   =   
 
ई-मेल रजिस्टर करें

अपनी बात
मतभेद के बीच मनभेद न आने दें...।

मतभेद के बीच मनभेद न आने दें...।