केदारनाथ में फिर गूंजेगी... शिव की ध्वनि

केदारनाथ में फिर गूंजेगी... शिव की ध्वनि



पूरी तरह तबाह केदारनाथ में फिर से महादेव की जय जयकार होगी। आस्था का शंख गूंजेगा। साफ-सफाई के बाद केदारनाथ में पूजा शुरू हो जाएगी। केदारनाथ मंदिर की सभी प्रतीकात्मक मूर्तियों को वहां से नहीं हटाया जाएगा और जो मूर्तियां हटाई भी गई हैं उन्हें वहां वापस लाकर उनकी पूजा की जाएगी। केदारनाथ मंदिर से बाबा केदार की उखीमठ ले जाई गई प्रतिमा को भी वापस लाया जाएगा।
उत्तराखंड आपदा को लेकर जिनती मुंह उतनी बातें। लापता लोगों और मृतकों की संख्या को लेकर सबसे अधिक दुविधा। आपदा में प्रभावित हुए लोगों की संख्या को लेकर प्रदेश सरकार के विभिन्न विभागों में शुरू से ही विरोधाभास की स्थिति रही है। आपदा नियंत्रण विभाग कुछ कहता है, शासन के मुख्य सचिव कुछ और आंकडा पेश करते हैं तो मुख्यमंत्री कुछ और बताते हैं। हकीकत यह है कि किसी भी विभाग और अधिकारी के पास कोई पुख्ता जानकारी नहीं थी। सभी अंदाजा लगाने में लगे हुए थे। कोई एजेंसी या विभाग वहां सर्वे के लिए नहीं पहुंचा, जिससे वास्तविक स्थिति का पता चल सके। जब से सरकार ने मुआवजे की राशि बढाने की घोषणा की तब से रेस्क्यू कराए गए और लापता हुए लोगों की संख्या भी बढने लगी। जैसे-जैसे गुजरते गए, शासन के आंकडे भी बदलते गए। सूत्र बताते हैं कि सभी अधिकारियों को सख्त हिदायत दी गई थी कि मीडिया से सीधे कोई बात नहीं करेगा।
आनन-फानन में सूचना केन्द्र स्थापित कर दिया और इस केन्द्र को आपदा से संबंधित सभी तरह की सूचना देने के निर्देश दिए लेकिन सेना के अधिकारियों और आपातकालीन सूचना केन्द्र के आंकडे मेल नहीं खाते थे। ऐसा लगता था कि कहीं-न-कहीं सूचनाओं को छिपाने का प्रयास किया जा रहा है। मरने और हजारों लोगों के फंसे होने की सूचना लापता लोगों की संख्या का कोई आंकडा नहीं था।
घायलों को मिलने वाली मुआवजा राशि में भी 70 फीसदी का इजाफा कर दिया गया। अगली सुबह सरकार के लिए चौंकाने वाली थी। खबर लीक हुई है कि रामबाडा में लाशें ही लाशें हैं, करीब 2000 लोगों की लाशें वहां पडी हुई हैं।
एक दिन पहले तक जहां फंसे हुए लोगों की संख्या 70 हजार बताया जा रहा था वहीं यह संख्या 90 हजार पहुंच गई और यह आंकडा एक लाख चार हजार को भी पार कर गई। सेना चुपचाप अपना काम करती जा रही थी और राजनेता अपनी राजनीति। सरकार के नुमाइंदे ही आपस में भिड गए।
उत्तराखंड के केदारनाथ में आपदा के कारण 150 पंडे लापता हुए थे। केदारनाथ में काम करने वाले पंडितों के संगठन केदार सभा का कहना है कि केदारघाटी के 16 गांवों के पंडे पीढी दर पीढी बाबा केदारनाथ के परिसर में काम करते आ रहे हैं, केदार सभा के एक पदाधिकारी ने कहा कि इस आपदा में 13 गांव के करीब 150 पंडे आपदा के दिन लापता हुए और उनका कोई पता नहीं चल सका है, जबकि देवली गांव के 50 पंडा लापता हैं। बादल फटने, तूफान, चक्रवात और बारिश जैसी आपदाओं के बारे में सटीक भविष्यवाणी के लिए देश के विभिन्न हिस्सों में 14 डाप्लर रडार लगाए गए लेकिन उत्तराखंड में अभी तक एक भी डाप्लर रडार स्थापित नहीं किया गया। चारधाम यात्रा से जुडी विशेष एडवाइजरी पर अगर सरकार ने ध्यान दिया होता तो इतनी गंभीर त्रासदी से कुछ हद तक बचा जा सकता था। मौसम विभाग ने चेतावनी में साफ कहा था कि चार धाम यात्रा को स्थगित कर दिया जाए, क्योंकि भारी बारिश होने वाली है, लेकिन सरकारी अधिकारियों ने इस पर ध्यान नहीं दिया और नतीजतन हजारों लोगों को जान गंवाना पडी। 16 जून की सुबह भी मौसम विभाग ने चेतावनी जारी की थी। सारे अनुमान सही साबित हुए और 16 जून की रात हुई बारिश ने उत्तराखंड में सबसे ज्यादा तबाही मचाई।

  इस ख़बर पर अपनी राय दें:
आपकी राय:
नाम:
ई-मेल:
 
   =   
 
ई-मेल रजिस्टर करें

अपनी बात
मतभेद के बीच मनभेद न आने दें...।

मतभेद के बीच मनभेद न आने दें...।